
“प्रमुख शेयर बाज़ार दुर्घटनाएँ (Major Stock Market Crashes) ने वित्तीय बाजारों पर गहरा प्रभाव डाला ,
ये घटनाएँ कई सदियों में फैली हुई हैं और शेयर बाजार के इतिहास के विकास के साथ जुड़ी हुई हैं,
जिसकी शुरुआत 16वीं शताब्दी में हुई जब यूरोप में शेयरों के विचार का उदय हुआ ।”
प्रारंभिक शुरुआत
- 16वीं शताब्दी
शेयरों का विचार यूरोप में शुरू हुआ। डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने वर्ष1602 में पहले शेयर जारी किए, जिससे निवेशकों को कंपनी के व्यापार में निवेश करने का अवसर मिला।
स्टॉक एक्सचेंजों की स्थापना
- 17वीं शताब्दी
1602 में स्थापित आम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज को पहला औपचारिक स्टॉक एक्सचेंज माना जाता है। इसने शेयरों और बॉन्ड्स के व्यापार को सुगम बनाया।
- 18वीं शताब्दी
लंदन स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 1801 में हुई, जो यूरोप में व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन गया।
19वीं और प्रारंभिक 20वीं शताब्दी
- विस्तार
शेयर बाजार विश्व स्तर पर बढ़ने लगे क्योंकि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) की स्थापना 1817 में हुई, जो सबसे बड़े और प्रभावशाली एक्सचेंजों में से एक बन गया।
- बाजार में गिरावट
1930 के दशक में महान मंदी ने महत्वपूर्ण बाजार गिरावट देखी, जिसके फल स्वरूप नियमों में बदलाव और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) की स्थापना हुई।
इसप्रकार शेयर मार्केट ( History of stock market) इतिहास बनने की दिशा की ओर चलने लगा।
2.युद्ध के बाद का युग
- आर्थिक विकास
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आर्थिक विस्तार और उपभोक्तावाद के उदय ने शेयर बाजारों में महत्वपूर्ण बढ़त देखी ।
- प्रौद्योगिकी में उन्नति
20वीं सदी के अंत में कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुआत ने शेयरों के व्यापार तरीके को बदल दिया।
3. 21वीं शताब्दी
- डॉट–कॉम बबल
1990 के अंत में तकनीकी शेयरों में वृद्धि हुई, जिसके बाद वर्ष 2000 में बबल फटा।
- आर्थिक संकट
हालांकि वर्ष 2008 का आर्थिक संकट वैश्विक बाजारों में महत्वपूर्ण संकट लेकर आया,
जिसके परिणामस्वरूप व्यापक सुधार और नियमों में परिवर्तन हुए।
इन सुधार की वजह से शेयर मार्केट के इतिहास( History of stock market) में परिवर्तन होना प्रारंभ हो गया।
4. ETF और एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग का उदय:
एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs) की लोकप्रियता बढ़ी और एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग सामान्य हो गई।
5.वर्तमान प्रवृत्तियाँ
- वैश्वीकरण(Gobalmarket)
“आज के समय में, बाजार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थानीय बाजारों को प्रभावित करते हैं।”
- सतत निवेश (Sustainable Investing)
निवेश निर्णयों में ESG (पर्यावरण, सामाजिक, शासन) मानदंडों पर ध्यान देने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
6. निफ्टी और सेंसेक्स का गठन (1990-2000)
1990 के दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाया गया और भारतीय शेयर बाजार को विदेशी निवेशकों के लिए खोल दिया गया।
1992 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना हुई जिसमे BSE का प्रमुख सूचकांक ‘सेंसेक्स’ और NSE का सूचकांक ‘निफ्टी’ बन गया।
इन दोनों सूचकांकों ने भारतीय शेयर बाजार को वैश्विक पहचान दिलाई।
शेयर मार्केट का इतिहास(History of Stock Market) के बारे में और जानकारी को समझें।
बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और एनएसई (राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज) का उदय
उदय और शुरुआती दौर:
यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है ,बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की शुरुआत 1875 में हुई थी।
इसे पहले ‘द नेटिवा शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन’ के नाम से जाना जाता था।
हालांकि भारतीय शेयर बाजार का पहला प्रमुख सूचकांक ‘सेंसेक्स’ लॉन्च किया।
शुरुआती दौर में शेयर मार्केट एक खुले मैदान में खरीद – बिक्री का काम चलता था ।
जो बाद में एक संरचनात्मक संगठन में बदल गया।
विकास और विस्तार:
बीएसई ने भारत के वित्तीय बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।और ‘सेंसेक्स’ लॉन्च कर भारतीय बाजार में एक अभूतपूर्व काम किया।
भारत के 30 सबसे बड़े कंपनी के स्टॉक का प्रतिनिधित्व और उपयोग भारतीय बाजार की स्थिति के बारे में जानने के लिए किया जाता है।
डिजिटलीकरण:
“1995 में, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया, जिससे बिजनेस और व्यापार में बढ़ोतरी हुई।
आज के समय में, एक क्लिक पर शेयर को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है।”
इसे बोल्ट (बीएसई ऑनलाइन ट्रेडिंग) कहा गया क्योंकि जिससे जुड़े उद्यमों को सीधे ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा मिल गई और व्यावसायिक उत्पाद तेजी से बढ़ गए।
2. एनएसई (राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज) की स्थापना और उद्देश्य:
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की स्थापना 1992 में हुई और यह 1994 में व्यापार के लिए खुला।
इसका मुख्य काम भारतीय वित्तीय बाजार में अनुकूलता लाना, निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, और तकनीकी रूप से उन्नत स्टॉक एक्सचेंज का निर्माण करना था।
ट्रेडिंग प्रक्रिया को सरल बनाना तथा छोटे एवं बड़े आवेदकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना एनएसई का मुख्य उद्देश्य था।
डिजिटल क्रांति:
एनएसई ने भारतीय शेयर बाजार को डिजिटल क्रांति से जोड़ा।
यह पूरी तरह से कंप्यूटर इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित था,
जिसने भारतीय बाज़ार में व्यापार प्रक्रिया को अधिक स्थिर, सुरक्षित और तेज़ बनाया।
यह पहली समीक्षा थी जिसमें ‘ऑटोमैटेड स्क्रीन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम’ पेश किया गया,
जिससे ट्रेडिंग में धोखाधड़ी और मानवाधिकार की धारणा कम हो गई।
निफ्टी50 का लॉन्च:
1996 में एनएसई ने अपने निवेशक ‘निफ्टी 50’ को लॉन्च किया, जो एनएसई में निफ्टी50 सबसे बड़ी और प्रमुख कंपनियों के प्रतिनिधियों को सूचीबद्ध करता है।
निफ्टी 50 को भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख सलाहकार माना जाता है और इसका उपयोग बाजार के स्वास्थ्य और प्रदर्शन के लिए किया जाता है।
:-बीएसई और एनएसई का महत्व:-
बीएसई और एनएसई दोनों ने भारतीय शेयर बाजार को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एनएसई ने आधुनिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भारतीय बाजार को विश्व स्तर पर नामांकन में मदद की,वास्तव में बीएसई की शुरुआत पारंपरिक तरीकों से हुई थी।
दोनों समीक्षाएँ आज भारतीय उद्योग के महत्वपूर्ण घटक हैं और प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के वित्तीय शेयरों में निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं।

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